Friday, May 21, 2010

आशा

देख उन घने बादलों के परे भी तेरा कोई ना कोई इक आशियाँ होगा
रात के साए ना होंगे बस,कल फिर से तेरे लिए एक नया सवेरा होगा
कोई करता होगा तेरा इंतज़ार फिर से, यहाँ अब ना कभी तू अकेला होगा
थाम ले हाँथ तू अपने हमसफ़र का, कि तन्हाइयों का अब ना यहाँ कोई बसेरा होगा
देख उन घने बादलों ................................

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